योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या राम मंदिर में की विशेष पूजा – राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक क्षण का किया साक्षात्कार

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योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या राम मंदिर में की विशेष पूजा – राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक क्षण का किया साक्षात्कार

5 जून 2025 को अयोध्या नगरी एक बार फिर से ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनी जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल पर बने राम दरबार में विधिवत प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लिया। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के 53वें जन्मदिवस को और भी विशेष बना गया।

क्या है प्राण प्रतिष्ठा का महत्व?

प्राण प्रतिष्ठा वह धार्मिक अनुष्ठान होता है जिसमें मूर्ति में देवता की उपस्थिति का आवाहन किया जाता है। इस प्रक्रिया के तहत मूर्ति को विधिवत मंत्रों और अनुष्ठानों के माध्यम से “जीवंत” किया जाता है, ताकि श्रद्धालु उसमें ईश्वर का साक्षात दर्शन कर सकें।

राम दरबार में कौन-कौन सी मूर्तियां स्थापित हुईं?

राम मंदिर के पहले तल पर स्थापित राम दरबार में निम्नलिखित देवताओं की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की गई:

  • भगवान श्रीराम
  • माता सीता
  • लक्ष्मण जी
  • भरत जी
  • शत्रुघ्न जी
  • हनुमान जी

इन मूर्तियों को शास्त्रोक्त विधि से प्रतिष्ठित किया गया, जिसमें वैदिक मंत्रोच्चार, हवन और विशेष पूजन शामिल थे।

योगी आदित्यनाथ की सहभागिता

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं पूरे पूजन में भाग लिया और सभी धार्मिक क्रियाएं पूरी श्रद्धा से संपन्न कीं। इसके बाद उन्होंने हनुमानगढ़ी मंदिर में भी दर्शन किए और सरयू आरती में सम्मिलित होकर अयोध्या की आध्यात्मिक ऊर्जा को नमन किया।

अयोध्या की सजावट और उत्सव का माहौल

राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर अयोध्या को भव्य तरीके से सजाया गया था। मंदिर प्रांगण को फूलों, दीयों और रंगोली से सजाया गया था। हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने इस आयोजन को एक महापर्व का रूप दे दिया।

योगी आदित्यनाथ का बयान

पूजन उपरांत मुख्यमंत्री योगी ने कहा:

“यह क्षण न केवल मेरे लिए बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में भारत अपनी सांस्कृतिक जड़ों की ओर लौट रहा है। राम मंदिर का निर्माण हमारी आस्था, परंपरा और राष्ट्र की आत्मा का पुनर्जागरण है।”

योगी आदित्यनाथ द्वारा राम दरबार में की गई पूजा न केवल धार्मिक भावना से जुड़ी थी, बल्कि यह एक प्रतीक था – एक भारत जो अपनी आध्यात्मिक धरोहर को सम्मान देता है, संरक्षित करता है और आने वाली पीढ़ियों को सौंपता है। यह दिन अयोध्या और रामभक्तों के लिए सदैव स्मरणीय रहेगा।

आपका क्या विचार है इस ऐतिहासिक आयोजन पर? क्या आप भी अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करना चाहेंगे? नीचे कमेंट करें और अपनी राय साझा करें।

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