शारदीय नवरात्रि 2025 : 22 सितंबर से 30 सितंबर तक माँ दुर्गा की आराधना, देशभर में उमड़ेगा श्रद्धा और आस्था का सैलाब

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शारदीय नवरात्रि कब है 2025

नई दिल्ली। इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर 2025, सोमवार से हो रही है और इसका समापन 30 सितंबर 2025, मंगलवार को होगा। इसके अगले दिन यानी 1 अक्टूबर 2025 को पूरे देश में विजयादशमी या दशहरा पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। इस बार नवरात्रि पूरे 9 दिनों की होगी, जिसमें माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा-अर्चना की जाएगी।

शारदीय नवरात्रि का महत्व और ऐतिहासिक पृष्ठभूम

नवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है, जिसका अर्थ है – नौ रातें। यह पर्व साल में चार बार आता है – चैत्र, आषाढ़, आश्विन (शारदीय) और माघ मास में। इनमें से शारदीय नवरात्रि का महत्व सबसे अधिक है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम ने रावण वध से पहले शारदीय नवरात्रि में माँ दुर्गा की आराधना कर विजय प्राप्त की थी। तभी से यह पर्व असत्य पर सत्य की जीत और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है।

शारदीय नवरात्रि
शारदीय नवरात्रि

शारदीय नवरात्रि 2025 का दिनवार कार्यक्रम

  • 22 सितंबर (सोमवार) – प्रतिपदा / घटस्थापना : कलश स्थापना और शैलपुत्री देवी की पूजा।
  • 23 सितंबर (मंगलवार) – द्वितीया : माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना।
  • 24 सितंबर (बुधवार) – तृतीया : माँ चंद्रघंटा की पूजा।
  • 25 सितंबर (गुरुवार) – चतुर्थी : माँ कूष्मांडा की आराधना।
  • 26 सितंबर (शुक्रवार) – पंचमी : माँ स्कंदमाता की उपासना।
  • 27 सितंबर (शनिवार) – षष्ठी : माँ कात्यायनी की पूजा।
  • 28 सितंबर (रविवार) – सप्तमी : माँ कालरात्रि की उपासना।
  • 29 सितंबर (सोमवार) – अष्टमी : महाअष्टमी, कन्या पूजन और माँ महागौरी की आराधना।
  • 30 सितंबर (मंगलवार) – नवमी : महानवमी, हवन और माँ सिद्धिदात्री की पूजा।
  • 1 अक्टूबर (बुधवार) – विजयादशमी / दशहरा : रावण दहन, जुलूस और विजय उत्सव।

देवी के नौ स्वरूप और पूजन विधि

नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होती है।

  1. शैलपुत्री – पर्वतराज हिमालय की पुत्री, साधना का प्रथम चरण।
  2. ब्रह्मचारिणी – तपस्या और संयम की प्रतीक।
  3. चंद्रघंटा – शौर्य और वीरता का प्रतीक स्वरूप।
  4. कूष्मांडा – ब्रह्मांड की रचना करने वाली शक्ति।
  5. स्कंदमाता – ज्ञान और मोक्ष देने वाली।
  6. कात्यायनी – शक्ति और विजय की देवी।
  7. कालरात्रि – भय का नाश करने वाली।
  8. महागौरी – शांति और सद्गुणों की देवी।
  9. सिद्धिदात्री – सिद्धियाँ और आशीर्वाद देने वाली।

उपवास और पूजा-पद्धति

नवरात्रि में भक्तजन व्रत रखते हैं। कुछ लोग केवल फलाहार करते हैं तो कुछ पूरे दिन उपवास कर रात को एक समय भोजन करते हैं। पूजा में घटस्थापना, अखंड ज्योति प्रज्वलन, दुर्गा सप्तशती का पाठ, हवन और कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है।

अलग-अलग राज्यों में नवरात्रि की झलक

  • उत्तर भारत : यहाँ रामलीला का आयोजन और रावण दहन सबसे बड़ा आकर्षण होता है।
  • पश्चिम बंगाल : दुर्गा पूजा का भव्य आयोजन, विशाल पंडाल और मूर्तियाँ।
  • गुजरात : गरबा और डांडिया नाइट्स, जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं।
  • महाराष्ट्र : घटस्थापना और देवी मंदिरों में विशेष पूजा।
  • दक्षिण भारत : गोलू उत्सव (गुड़ियों की सजावट) और मंदिरों में विशेष अनुष्ठान।

धार्मिक स्थलों पर रौनक और सुरक्षा व्यवस्था

वाराणसी, प्रयागराज, हरिद्वार, कोलकाता, वैष्णो देवी, मदुरै, मैसूर, अहमदाबाद और मुंबई जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों पर इस दौरान लाखों श्रद्धालु जुटेंगे। सरकार और प्रशासन ने सुरक्षा के पुख़्ता इंतज़ाम किए हैं। सीसीटीवी, ड्रोन और अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती होगी।

आर्थिक और सामाजिक प्रभाव

नवरात्रि का देश की अर्थव्यवस्था पर भी बड़ा असर पड़ता है। इस दौरान:

  • कपड़ों, आभूषणों और इलेक्ट्रॉनिक सामान की बिक्री बढ़ जाती है।
  • मिठाइयों, सजावट और फूलों का कारोबार कई गुना बढ़ता है।
  • पर्यटन उद्योग में रौनक लौट आती है।
  • गरबा-डांडिया और दुर्गा पंडालों के आयोजन से स्थानीय स्तर पर रोज़गार भी पैदा होता है।

विजयादशमी का महत्व

नवरात्रि का समापन दशहरे के रूप में होता है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। रावण दहन के साथ लोग यह संदेश लेते हैं कि अहंकार और अधर्म का अंत निश्चित है।

शारदीय नवरात्रि 2025 पूरे 9 दिनों की होगी और 22 सितंबर से 30 सितंबर तक चलेगी। इसके बाद 1 अक्टूबर को विजयादशमी मनाई जाएगी। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है।

माँ दुर्गा की आराधना से जहाँ भक्तों को आंतरिक शक्ति और शांति मिलती है, वहीं समाज को भी एकता, सद्भाव और सकारात्मक ऊर्जा का संदेश मिलता है।

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