जीएसटी कटौती से घटेगा बोझ : आम जनता और कारोबारियों को मिल सकती है बड़ी राहत

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जीएसटी में मिलने वाली है बड़ी राहत... हो सकते

नई दिल्ली। देश में लगातार बढ़ती महँगाई और मंदी की आशंकाओं के बीच सरकार उपभोक्ताओं और कारोबारियों को राहत देने के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कटौती पर गंभीरता से विचार कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि आने वाले समय में जीएसटी दरें घटती हैं, तो इससे न केवल आम आदमी की जेब पर से बोझ कम होगा बल्कि उद्योग जगत को भी नई ऊर्जा मिलेगी और बाज़ार में माँग बढ़ेगी।

जीएसटी कटौती से घटेगा बोझ
जीएसटी कटौती से घटेगा बोझ

जीएसटी क्या है और इसका असर

जीएसटी (Goods and Services Tax) भारत में 1 जुलाई 2017 को लागू हुआ था। यह एक अप्रत्यक्ष कर है जो पहले लगाए जाने वाले दर्जनों करों (जैसे वैट, सर्विस टैक्स, एक्साइज ड्यूटी आदि) को मिलाकर लागू किया गया। जीएसटी का उद्देश्य कर प्रणाली को सरल बनाना और पूरे देश में एक समान कर व्यवस्था लागू करना था।

लेकिन पिछले सात वर्षों में कई बार यह सवाल उठा कि क्या जीएसटी आम जनता के लिए राहत है या बोझ। खासकर रोज़मर्रा की वस्तुओं और सेवाओं पर उच्च जीएसटी दरें होने से उपभोक्ताओं को महँगाई का सामना करना पड़ा है।

जीएसटी दरों की वर्तमान स्थिति

भारत में फिलहाल जीएसटी की चार प्रमुख दरें हैं –

  • 5% (मुख्यतः ज़रूरी वस्तुओं पर)
  • 12%
  • 18% (ज्यादातर सेवाओं और उत्पादों पर)
  • 28% (लक्ज़री और गैर-ज़रूरी वस्तुओं पर)

यानी, आम जनता के ज़्यादातर खर्च 12% और 18% जीएसटी श्रेणी में आते हैं। यही वजह है कि खाने-पीने का सामान, कपड़े, घरेलू उपकरण और अन्य ज़रूरी चीज़ें अपेक्षाकृत महँगी होती गई हैं।

क्यों ज़रूरी है जीएसटी कटौती

  1. महँगाई पर लगाम – अगर जीएसटी दरें कम होंगी तो वस्तुएँ सस्ती होंगी और आम उपभोक्ता की जेब पर बोझ घटेगा।
  2. माँग में वृद्धि – कम दाम से लोग अधिक खरीदारी करेंगे, जिससे बाज़ार में माँग बढ़ेगी।
  3. उद्योग जगत को फायदा – बिक्री बढ़ने से उत्पादन में तेजी आएगी और उद्योगों की आय भी बढ़ेगी।
  4. छोटे कारोबारियों को राहत – दुकानदारों और छोटे व्यापारियों के लिए प्रतिस्पर्धा आसान होगी।
  5. रोज़गार के अवसर – माँग और उत्पादन बढ़ने से रोज़गार के नए अवसर भी पैदा होंगे।

किन क्षेत्रों को मिलेगा सीधा लाभ

विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि सरकार जीएसटी कटौती का कदम उठाती है, तो सबसे ज्यादा राहत इन क्षेत्रों में मिल सकती है –

  • खाद्य सामग्री : पैकेज्ड फूड, तेल, आटा, चावल जैसी वस्तुएँ।
  • कपड़ा उद्योग : साड़ी, शर्ट-पैंट और दैनिक उपयोग के वस्त्र।
  • इलेक्ट्रॉनिक सामान : मोबाइल, लैपटॉप, टीवी और घरेलू उपकरण।
  • होटल-रेस्टोरेंट सेक्टर : खाने-पीने का खर्च कम होगा।
  • ऑटोमोबाइल सेक्टर : टू-व्हीलर और कार की बिक्री में उछाल आएगा।

सरकार की रणनीति और चुनौतियाँ

सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती राजस्व (Revenue) की है। जीएसटी कटौती से सरकार की कमाई पर असर पड़ेगा। पहले से ही केंद्र और राज्य सरकारों को जीएसटी से होने वाली आय पर बड़ा भरोसा है। ऐसे में दरों में कमी करने पर राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) बढ़ सकता है।

इसीलिए सरकार को संतुलन साधना होगा – यानी उपभोक्ताओं को राहत भी मिले और राजस्व में ज़्यादा गिरावट भी न हो। इसके लिए संभावना है कि ज़रूरी वस्तुओं और सेवाओं पर ही जीएसटी दरें घटाई जाएँ, जबकि लक्ज़री वस्तुओं पर कर की दरें यथावत रहें।

उद्योग जगत की प्रतिक्रिया

  • कन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्री (CII) का कहना है कि जीएसटी कटौती से माँग में तेजी आएगी और अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
  • भारतीय उद्योग संघ (FICCI) का मानना है कि उपभोक्ता खर्च बढ़ेगा तो बाज़ार में सकारात्मक माहौल बनेगा।
  • छोटे व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी की ऊँची दरें उनकी बिक्री घटा रही हैं, इसलिए दरों में कमी ज़रूरी है।

विशेषज्ञों की राय

आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी कटौती का फैसला जनता के हित में होगा।

  • डॉ. अरविंद कुमार (अर्थशास्त्री) : “महँगाई की मार झेल रही जनता के लिए यह कदम राहत देगा। हालाँकि सरकार को राजस्व संतुलन का ध्यान रखना होगा।”
  • प्रो. सीमा त्रिपाठी (वाणिज्य विशेषज्ञ) : “यदि सरकार स्मार्ट प्लानिंग करे और केवल ज़रूरी वस्तुओं पर जीएसटी घटाए तो अर्थव्यवस्था पर बोझ भी नहीं बढ़ेगा और जनता को राहत भी मिलेगी।”

आम जनता की उम्मीदें

दिल्ली की गृहिणी रीता शर्मा कहती हैं – “रसोई का खर्च लगातार बढ़ रहा है। अगर खाने-पीने के सामान पर जीएसटी घटे तो बहुत राहत मिलेगी।”
लखनऊ के व्यापारी मोहित अग्रवाल का कहना है – “बिक्री घटी है, ग्राहक महँगाई से परेशान हैं। जीएसटी घटने से कारोबार दोबारा पटरी पर आएगा।”

अंतरराष्ट्रीय उदाहरण

दुनिया के कई देशों में आर्थिक मंदी या महँगाई के समय वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) और सेल्स टैक्स घटाकर उपभोक्ताओं को राहत दी गई है।

  • ब्रिटेन ने कोरोना काल में VAT घटाया था।
  • जर्मनी ने भी मंदी से निपटने के लिए टैक्स दरें अस्थायी रूप से कम की थीं।
    भारत भी इसी तरह जीएसटी कटौती करके उपभोक्ताओं और उद्योगों को प्रोत्साहित कर सकता है।

संभावित असर

अगर जीएसटी दरें घटती हैं तो –

  • दाल, चावल, दूध, तेल जैसी ज़रूरी वस्तुएँ सस्ती होंगी।
  • कपड़ा और इलेक्ट्रॉनिक सामान की बिक्री बढ़ेगी।
  • होटल-रेस्टोरेंट में खाना सस्ता होगा।
  • ऑटोमोबाइल की बिक्री तेज़ हो सकती है।
  • पर्यटन और सेवा उद्योग में भी रौनक लौटेगी।

जीएसटी कटौती का कदम जनता और उद्योग जगत दोनों के लिए राहत लेकर आ सकता है। हालाँकि सरकार को राजस्व और घाटे की चुनौती का भी सामना करना होगा। लेकिन अगर यह कदम संतुलित तरीके से उठाया जाता है तो निश्चित ही इसका असर सकारात्मक होगा।

महँगाई से जूझ रही जनता को राहत मिलेगी, बाज़ार में माँग बढ़ेगी, उद्योग जगत को प्रोत्साहन मिलेगा और अंततः भारतीय अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा का संचार होगा।

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